Farming लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Farming लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

Kadaknath Chicken Poultry Farming कैसे शुरू कर सकते हैं?

Kadaknath Chicken Poultry Farming कैसे शुरू कर सकते हैं?



Kakadnath Chicken
Kakadnath Chicken



कड़कनाथ चिकन क्या है?

कड़कनाथ  चिकन की रंग पूरी तरह से काला होता है उसकी चमरा, मांस, नाखून, हड्डियां और रक्त भी काले रंग की होती है। कड़कनाथ मुर्गी बहुत ही लाभदायक होता है हमारे शरीर के लिए खासकर हार्ट के पेशेंट के लिए! इसलिए इसकी कीमत ₹900-1000/kg के हिसाब से बिकती हैं। कड़कनाथ मुर्गी के अंडे 60 से 90 रुपए तक बिकती है। खाली एक अंडे की कीमत है ₹60 या ₹90 होता है।

कड़कनाथ चिकन मध्य प्रदेश के Jhabua और छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में पाई जाने वाली एक खास किस्म की मुर्गी है जिसकी मांस और अंडा दोनों ही फायदेमंद है हमारे शरीर के लिए खासकर हार्ट के पेशेंट के लिए। कड़कनाथ चिकन को काली मासी मां भी कहा जाता है।

कड़कनाथ चिकन में प्रोटीन की मात्रा बहुत ही ज्यादा होती है और फैट और कोलेस्ट्रोल की मात्रा बहुत ही कम है इसलिए इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है और इसको GI Tag (Geographical Indications) मिल चुका है हाल ही में। कड़कनाथ चिकन में पाए जाने वाली न्यूट्रिशन की मात्रा आप खुद देख सकते हैं,

High Protein 25%, High Nutrition, Enriched Amino Acid, Cholesterol or fat less than 1%

कड़कनाथ चिकन के अंडे भी बहुत फायदेमंद है खासकर बूढ़े लोगों के लिए और बढ़ते हुए बच्चों के लिए। केदारनाथ मुर्गी के अंडे से माइग्रेन, हेडेक, किडनी का प्रॉब्लम ठीक होता है।

कड़कनाथ चिकन मैं प्रोटीन की मात्रा बहुत ही ज्यादा और कोलेस्ट्रोल या फैट की मात्रा बहुत ही कम है इसकी वजह से भी इसकी डिमांड बढ़ रही है।

कड़कनाथ चिकन बहुत ही महंगा होती है इसीलिए अगर आप चाहे तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस में पोल्ट्री फार्मिंग कर सकते हैं। इंडिया में कड़कनाथ चिकन को एक्सपोर्ट भी किया जाता है दूसरी देशों में इसीलिए कड़कनाथ चिकन बहुत ही लाभदायक बिजनेस आइडिया है सबके लिए। कड़कनाथ चिकन पोल्ट्री फार्मिंग से जुड़े बड़े-बड़े पोल्ट्री फार्मर के साथ मिलकर छोटे-छोटे पोल्ट्री फार्मर केदारनाथ चिकन की फार्मिंग कर रहे हैं।

कड़कनाथ चिकन बहुत ही महंगा होता है इसीलिए सबके लिए आसान नहीं होता है पोल्ट्री फॉर्म खोलना!

आप पोल्ट्री फॉर्म अगर खोल भी लिए तो उनको बेचना एक प्रॉब्लम होता है क्योंकि कड़कनाथ चिकन बहुत ही महंगा होता है, इसीलिए बिक्री करने के लिए थोड़ी बहुत प्रॉब्लम आ सकती है छोटे-मोटे बिजनेसमैन के लिए या फार्मर के लिए। इसीलिए जिनके पास कम पूंजी है पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग से केदारनाथ चिकन की पोल्ट्री फार्मिंग आसानी से कर सकते हैं।

Kakadnath Chicken
Kakadnath Chicken

Kadaknath Chicken Contract Poultry Farming  या buy-back policy क्या होता है?

कड़कनाथ चिकन की दाम बहुत ज्यादा है इसलिए इसकी फार्मिंग करना आसान नहीं है। सबसे दिक्कत होती है उसका मार्केटिंग करना मतलब बेचना इसीलिए कड़कनाथ चिकन पोल्ट्री फॉर्म मैं कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और बाय-बैक पॉलिसी बहुत अच्छा ऑप्शन है नहीं तो आपको बेचने में दिक्कत आ सकती हैं। 

कड़कनाथ चिकन फार्मिंग के लिए जिसके पास इन्वेस्टमेंट के लिए कम पैसे हैं ही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए कड़कनाथ चिकन की फार्मिंग कर सकते हैं।

कड़कनाथ चिकन कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में बहुत सारे ऑप्शन होते हैं जैसे कि जिनके पास ज्यादा इन्वेस्टमेंट करने के लिए पैसे नहीं है तो आप खाली 100-200 केदारनाथ चिक या बच्चे के साथ शुरू कर सकते हैं पोल्ट्री फार्मिंग। जिसके लिए आपको 50000- ₹75000 ही लगेंगे। आजकल कुछ कंपनियां बहुत ही क डिपॉजिट से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अवसर दे रहेे हैं छोटे-मोटे किसानों को और छोटे बिजनेसमैन को। आपके पास अगर कम पैैेसे हैं तो भी आप उनसेे जुड़ सकते हैं उनकेे पास बहुत सारे ऑप्शन होता हैै।

कड़कनाथ चिकन कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में कंपनी से सब कुछ कंट्रोल किया जाता है जैसे कि वैक्सीनेशन, डिजीज कंट्रोल, और चिकन को वापस खरीद लेना और अंडे भी वापस खरीद लेना आपको मार्केटिंग की चिंता नहीं होती है।

बड़े-बड़े पोल्ट्री फार्मिंग कंपनियां छोटे-छोटे पोल्ट्री फार्म के मालिक के साथ एक एग्रीमेंट पेपर साइन करते हैं जिसमें सब कुछ डिटेल्स में लिखा रहता है। जैसे कि कितने अमाउंट डिपॉजिट करना है, कितने दिन के लिए एग्रीमेंट की जा रही है मतलब एग्रीमेंट का ड्यूरेशन या अवधि,  चूजे के दाम, अंडे का दाम, कितने में चिकन रिटर्न कंपनी को बेचना है सब कुछ डिटेल्स में लिखा होता है।

कड़कनाथ चिकन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए बहुत सारे एग्रीमेंट या पॉलिसी के ऑप्शन होते हैं कंपनी के पास।  आजकल तो 10-20 हजार से भी कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी बनाया जाता है छोटे किसानों के लिए। इनके पास ज्यादा पैसा है इन्वेस्टमेंट के लिए उनको 50%-50% परसेंट का फ्रेंचाइजी भी ऑफर किया जाता है लेकिन उसके लिए 20 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है। इस फ्रेंचाइजी के जरिए आप कंपनी के शेयर होल्डर भी बन सकते हैं और कंपनी की तरफ से हर तरह की सुविधा दी जाती हैं सब कुछ वही लोग अरेंज करते हैं किसान या कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ती खाली उनको इन्वेस्टमेंट करनी होती है और जगह की जरूरत पड़ती है।

Contract Paultry Farming के फायदे क्या है?

अलग-अलग कंपनी के अलग-अलग नियम या कंडीशन होते हैं कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए जमीन आपके नाम की होनी चाहिए या अगर आप जमीन लीज/रेंट पर लेते हैं तो उसकी भी पेपर आपके नाम से होनी चाहिए। पोल्ट्री फार्मिंग के लिए हमेशा जमीन रिहायशी इलाका से दूर होने से अच्छा है नहीं तो लाइसेंस लेने में दिक्कत आएगी। 

कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में कंपनी की तरफ से सब कुछ उपलब्ध कराया जाता है जैसे कि मेडिसिन, वैक्सीनेशन, दाना, चूजे, वेटरनरी डॉक्टर विजिट या चेकअप।

अगर चिक मर जाती है तो भी उसका भी रिस्क कवर देती है कंपनी मतलब बीमारी से चिकन मर जाने का नुकसान कंपनी उठाएगी।

कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं पड़ती खाली मुर्गी का ध्यान रखना पड़ता है और कितने मात्रा में दाना डालना है उसको देखना है और पानी और सफाई का भी ध्यान रखना होता है।

भारत में अभी बहुत सारी कंपनी कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग के जरिए फार्मर या बिजनेसमैन को बिजनेस करने का मौका दे रहे हैं और खुद भी मुनाफा कमा रहे हैं और दूसरों को भी कमाने का मौका दे रहे हैं।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में बहुत सारे ऑप्शन होते हैं फार्मर या बिजनेसमैन के लिए आपको जो सही लगे आप उसे ही पसंद कर सकते हैं बिजनेस के लिए।

Contract Paoultry Farming  मैं आपको बहुत सावधान रहना पड़ता है नहीं तो आपको कंपनी धोखा भी दे सकती हैं इसीलिए जब भी Agreement साइन करें सोच समझकर करें, क्योंकि कभी-कभी कोई कोई कंपनी चिकन तो दे देते हैं पालने के लिए लेकिन बाय बैक नहीं करते हैं या कम पैसे में रिटर्न में खरीदते हैं इसलिए आपको नुकसान हो सकता है!एग्रीमेंट अच्छे से पढ़ कर ही साइन करें और कंपनी का रिव्यु ले ले मतलब कंपनी कैसा है उसकी जानकारी प्राप्त करें बिजनेस करने से पहले।

अगर आप कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग नहीं करना चाहते हैं तो कोई बात नहीं खुद भी कड़कनाथ चिकन की फॉर्मिंग कर सकते हैं।

आपके पास अगर जमीन और पैसे हैं तो आप भी कड़कनाथ पोल्ट्री फार्मिंग आसानी से कर सकते हैं या शुरू कर सकते हैं। खुद के पोल्ट्री फार्मिंग के लिए आपको खुद ही मार्केटिंग करनी पड़ेगी मतलब मुर्गी या अंडे का ख्याल खुद ही रखना पड़ेगा और सब अवस्था खुद ही करना पड़ेगा जैसे कि दवाई, टीकाकरण, खाना, पानी, सफाई, मेडिसिन और फिर बेचना।

खर्चा भी ज्यादा आएगी और प्रॉफिट भी ज्यादा होगा। सोचिए खाली 7 दिन के चुजे की की कीमत लगभग 50 से ₹100 होती है और 1 किलो कड़कनाथ चिकन कीमत 1000 से 1200 रुपए तक की होती है। मुनाफा भी बहुत ज्यादा है इस बिजनेस में।

कड़कनाथ चिकन 5 से 6 महीने में अंडे देने के लिए तैयार हो जाते हैं और 300 दिनों तक अंडे देती है। 

कड़कनाथ चिकन के फार्म बिल्कुल बॉयलर, देसी मुर्गी के फार्म जैसा ही होता है खाली ध्यान ज्यादा रखना होता है क्योंकि कड़कनाथ मुर्गी थोड़ी महंगी होती हैं तो इसका रखरखाव अच्छी तरह करना पड़ता है नहीं तो चोरी होने का भी डर रहता है और बीमारी से मरने का भी।

आप लेयर केज पोल्ट्री फार्मिंग की सेटअप मैं भी केदारनाथ पोल्ट्री फार्मिंग कर सकते हैं लेकिन सेटअप करने के लिए इन्वेस्टमेंट ज्यादा लगती है और मुनाफा भी ज्यादा होती है।

इंडिया में कड़कनाथ चिकन की लागत बहुत ही बढ़ गई है क्योंकि इसमें पाई जाने वाली प्रोटीन और लो फैट के चलते इसकी डिमांड बढ़ती जा रही हैं खाली इंडिया में ही नहीं बाहर में भी मतलब इंडिया से एक्सपोर्ट होता है कड़कनाथ चिकन दूसरी देशों में। इंडिया का मौसम कड़कनाथ चिकन के लिए परफेक्ट या सूटेबल है, इसीलिए इंडिया में कड़कनाथ चिकन पोल्ट्री फार्मिंग की डिमांड बढ़ रही है। बहुत सारे पोल्ट्री फार्मर और किसान भी इससे जुड़ रहे हैं। बिजनेसमैन भी कड़कनाथ चिकन की पोल्ट्री फार्मिंग कर रहे हैं।

कड़कनाथ पोल्ट्री फार्मिंग एक फायदेमंद और पॉपुलर बिजनेस है 2020 में।

India केेे कुछ पॉपुलर कड़कनाथ चिकन पोल्ट्री फार्म कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और बाय बैक पॉलिसी केे ऑफर दे रहे हैं। जैसे कि,

Happy Birds Organic Farming Private Limited Company के साथ जुड़़ कर भी कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग कर सकते हैं कर सकते हैं केदारनाथ चिकन के।

कंपनी के तरफ से आपको बहुत सारे ऑप्शन दिए जाते हैं उनसे जोड़कर बिजनेस करने के लिए जैसे कि chicken grow for meat, eggs sale, hatching, chicks sale, और फ्रेंचाइजी भी दी जाती हैं पार्टनरशिप के लिए।

Maha Rayat Agro Farming Company Kadaknath chicken contract Farming दे का ऑफर देते हैं बिजनेसमैन को, और फार्मर को। कोई भी उनसे जुड़ सकते हैं जिनके पास जमीन हैं और कुछ पैसे हैं इन्वेस्ट  करने के लिए
 और खुद का बिजनेस शुरूू करना चाहते हैं।

Dressed Chicken
Dressed Chicken

Kadaknath Chicken, Egg & Khaki Cambael Duck Farming, Bihar




Kadaknath Chicken Poultry Farming  बहुत ही लाभदायक बिजनेस है। अगर आप 200 चिकन की फॉर्मिंमिंग करेंगे तो आपको मिनिमम 200000 का मुनाफा होगा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में। आजकल बैंक से भी लोन दिया जा रहा है पोल्ट्री फॉर्म के लिए 50% से 60% तक। इसीलिए जिनके पास जमीन है लेकिन पैसा नहीं है वह भी बैंक से लोन लेकर कड़कनाथ चिकन पोल्ट्री फार्मिंग शुरू कर सकते हैं।


Kadaknath Chicken Poultry Farming कैसे शुरू करें?

Kedarnath chicken poultry Farming शुरू करने के लिए जरूरी लाइसेंस
  • NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) from Local Authorities ( ग्राम पंचायत)।
  • Trade License.
  • GST Number.
  • Pollution Clearance.
  • License from Electricity Board.
लाइसेंस अप्लाई करने के बाद आप नीचे दिए गए चीजों का ध्यान  रखकर कड़कनाथ चिकन पोल्ट्री फॉर्म आसानी से शुरू कर सकते हैं।

Kadaknath Chicken Poultry Farming शुरू करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है जैसे कि,

Land/: 
आप कितने मुर्गी पालन कर सकते हैं! उसके हिसाब से जमीन की आवश्यकता होती है। मुर्गी या चिकन की संख्या कितनी हैं उसके हिसाब से आपको जमीन चाहिए। फार्म की जमीन थोड़ी ग्राउंड लेवल से ऊपर होने से अच्छा है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए जमीन आपके नाम की होनी चाहिए या अगर आप जमीन लीज/रेंट पर लेते हैं तो उसकी भी पेपर आपके नाम से होनी चाहिए। पोल्ट्री फार्मिंग के लिए हमेशा जमीन रिहायशी इलाका से दूर होने से अच्छा है नहीं तो लाइसेंस लेने में दिक्कतक्त् आएगी। पोल्ट्री फार्मिंग के लिए अपने एरिया के municipality office या ग्राम पंचायत से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है।
Electricity/Power connection: इलेक्ट्रिसिटी एक बहुत ही जरूरी चीज है फॉर्मिंग के लिए पोल्ट्री फार्मिंग के लिए क्योंकि फार्म में लाइट की व्यवस्था होनी जरूरी है। पोल्ट्री फार्मिंग में वाटर पंप, टेंपरेचर कंट्रोल मशीन की भी जरूरत पड़ती है।
Away From Population: पोल्ट्री फार्म के लिए हमेशा भीड़ से दूर जमीन में करनी चाहिए क्योंकि चिकन बहुत ही सेंसिटिव होते हैं और जल्दी ही बीमार पड़ जाते हैं इसलिए हमको हमेशा लोगों से बचा के रखे।
Fencingपोल्ट्री फार्मिंग के लिए हमेशा फार्म को दीवाल क्यााय फेंसिंग जरूरी होता है नहीं तो आप कम से कम पेड़ों से भी फेंसिंग कर सकते हैं ताकि जानवर चिकन को नुकसान नहीं पहुंचा सके फेंसिंग एक जरूरी चीज है Paultry फार्मिंग के लिए।
Direction: पोल्ट्री फार्मिंग की डायरेक्शन हमेशा ईस्ट और वेस्ट डायरेक्शन में ही होना चाहिए इससे हमेशा ताजी हवा मिलेगी चिकन को और बदबू नहीं आएगी पोल्ट्री फॉर्म से।
Bio Security: पोल्ट्री फार्म के लिए बाय सिक्योरिटी का ध्यान रखना सबसे जरूरी चीज है। किसी भी व्यक्ति को पोल्ट्री फॉर्म में एंट्री नहीं दे बिना हाइजीन मेंटेन किए। हमेशा हाइजीन मतलब साफ सफाई का ध्यान रखें नहीं तो चिकन बीमार पड़ सकते हैं और इंफेक्शन से मर सकते हैं जिससे आपको बहुत ज्यादा नुकसान होगी। फॉर्म से हमेशा ऑफिस, फीडिंग स्टोरेज, मेडिसिन स्टोरेज, और लेबर रूम अलग करें।
Medicine, Vaccination: पोल्ट्री फार्मिंग में सबसे मुश्किल काम  होता है चिकन को ठीक तरह से ग्रो करना मतलब 24 घंटे ख्याल रखना तभी हो ठीक से बड़े होंगे। लगातार वैक्सीनेशन करना चाहिए नहीं तो वे बीमार और जाएंगे। चिकन में बहुत सारे बीमारी क्या इंफेक्शन देखे जाते हैं जैसे कि बर्ड फ्लू, फीवर, आंखों में पानी आना आंखों में ब्लड आना, पंख झरना जैसे-जैसे बहुत से बीमारी होते हैं उनसे बचाव के लिए लगातार मेडिसिन और टीकाकरण या वैक्सीनेशन की जरूरत पड़ती है। कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में लगातार कंपनी की तरफ से वेटरनरी डॉक्टर विजिट करते रहते हैं ताकि चिकन स्वस्थ रहें और इंफेक्शन से मरे नहीं।
Feeding aur Supplements:  पोल्ट्री फार्मिंग में चिकन की अच्छी तरह से ग्रोथ के लिए फीडिंग और सप्लीमेंट का पूरी ध्यान रखना चाहिए ताकि हो ठीक से सर्क् बढ़ सके। आप मार्केट से खरीद सकते हैं नहीं तो आप खुद भी खाना तैयार कर सकते हैं जो कि थोड़ा सस्ता पड़ता है। चिकन के लिए रेडीमेड खाना अच्छा रहता है क्योंकि उस खाने में सारेेेे पोषक तत्व का ध्यान रखा जाता है। पोल्ट्री फार्मिंग में रेडीमेड खाना थोड़ा कॉस्टली होता है मतलब फीडिंग के लिए खर्चा बहुत आता है।

Contract Farming मैं आप कंपनी से फीड या दाना खरीद सकतेे हैं।  रेडीमेड खाने में कैल्शियम और बहुत सारा अनाज मिला मिलाकर दाना तैयार किया जाता है जिससे चिकन बहुत जल्दी बढ़ जाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।

    शनिवार, 10 अक्टूबर 2020

    BIOFLOC FISH FARMING कैसे करे?

    BIOFLOC FISH FARMING कैसे करे? 

     

    Biofloc Tank
    Biofloc fish farming tank

    Biofloc fish farming system या तकनीक क्या है?

    Biofloc fish farming system या तकनीक में पानी को बैलेंस किया जाता है और उसमें कार्बन, ऑक्सीजन नाइट्रोजन, क्लोरीन, नाइट्रेट, हाइड्रोजन मात्रा या लेबल्स को पता करके और यह सब एलिमेंट्स को बैलेंस किया जाता है और इस system में पानी को रिसाइकल या शुध्य किया जाता है और पानी के अंदर मौजूद प्रोटीन जैसे एलिमेंट्स को बैलेंस किया जाता है. 

    Biofloc system को Indonesia और Vietnam में सबसे पहले शुरू किया गया था लेकिन अब लगभग हर Asian देशों में इस सिस्टम से मछली पालन की जा रही है।

    Biofloc fish farming system में टंकी में मछली पालन की जाती है  खासकर  सीमेंट, प्लास्टिक या  टेंट (tarpolin) की टैंक होती है।  

    Biofloc मतलब क्या है?

    Biofloc का मतलब होता है प्रोटीन से भरे हुए microorganism जिसमें बैक्टीरिया, अलगाए जैसे bioproducts होते हैं। इस सिस्टम में पानी में मौजूद बैक्टीरिया जो  मछली की मल या waste products से प्रोटीन तैयार करती है और उससे ही मछली को चारा मिल जाता है ।

    सीधे शब्द में कहे तो मछली जो भी चारा खाती है उसमे से 75% मल में परिवर्तित कर देती या निकाल देती है उससे पानी गन्दा हो जाता है और मछलिया मरने या बीमार पड़ने लगती है और खाना भी ज्यादा लगता है। इसलिए तलाव में चारा ज्यादा लगता है पानी भी बदलना पड़ता है हर 15 या 20 दिन में, लेकिन Biofloc fish farming System में बैक्टीरिया (probiotics) डाला जाता है जो मछली मल को waste Products को मछली की खाना के रूप में अरे प्रस्तुत कर देते हैं मछली फिर उसे खा लेते हैं इससे पानी भी जल्दी गन्दी नहीं होती है और मछली कम बीमार पढ़ते हैं।

    Biofloc fish farming system मैं सबसे अच्छी बात है पानी का कम उपयोग क्योंकि अभी हर देश में पाने की कमी देखा जा रहा है खासकर भारत में इसीलिए  biofac fish farming system में पानी का इस्तेमाल कम होने से सब कोई इस तकनीक को अपना रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं।

    Biofloc fish farming system बहुत ही ट्रेंडिंग, प्रॉफिटेबल सिस्टम हैं fish Farming के लिए। इसमें बहुत ही कम पानी की जरूरत पड़ती है दूसरी fish Farming की तुलना में जैसे की तलाव में fish Farming और RAS fish Farming सिस्टम से।

    Biofloc fish farming सिस्टम में कम जगह, कम पानी और चारा भी कम लगती है दूसरी सिस्टम या टेक्नोलॉजी से इसलिये Biofloc सिस्टम को सब अपना रहे है खासकर फार्मर और बिजनेसमैन। Biofloc fish farming system से आजकल भारत के हर राज्य में मछली पालन हो रहा है।

    Biofloc fish farming system या तकनीक तालाव में fish farming  से अलग क्यों है?

    Biofloc fish farming system या तकनीक से आप बहुत ही ज्यादा मात्रा में मछली पालन कर सकते हैं कम लगत और कम जगह में।  Biofloc system में पानी और चारा मतलब मछली की खाना दोनों कम लगता है दूसरी सिस्टम से खासकर तलाव में मछली पालन के लिए।

    तलाव में मछली पालन के लिए बहुत सी जगह की जरूरत पड़ती हैं लेकिन Biofloc system में आप बहुत ही कम जगह में मछली पालन कर सकते हैं। दूसरी Asian देशो में जैसे की चीन, फिलीपींस, इजरायल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, जापान जैसे देश में भी Biofloc fish farming system से फिश फार्मिंग होती है.

    अभी इंडिया में भी इस Biofloc system को अपनाया जा रहा है फिश फार्मिंग के लिए। इस सिस्टम से मछली पालन की मुनाफा बहुत ज्यादा  होता है। इसके चलते सभी इसमें इंटरेस्ट दिखा रहे हैं चाहे वह फार्मर हो या बिजनेसमैन। Biofloc system एक ही बार इन्वेस्ट करने से कई साल तक कमा सकते हैं।

    Biofloc system से मछली पालन में लगभग 50% से 60% तक मुनाफा होती है मतलब मुनाफा बहुत ज्यादा है दूसरी तकनीक की तुलना में।

    इंडिया मैं लगभग हर स्टेट में अभी Biofloc fish farming system को अपनाया जा रहा है मछली पालन के लिए खासकर हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरला, वेस्ट बेंगल, पंजाब, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड जैसे स्टेट में इस तरीके से मछली पालन होती है।

    Biofloc fish farming system में सबसे अलग चीज यह है कि इसमें पानी की खपत बहुत ही कम है. इस सिस्टम में आपको खेती की जमीन बर्बाद करने की जरूरत नहीं है आप कोई भी खाली जमीन को में Biofloc system या तकनीक से fish farming कर सकते हैं. इस तकनीक से मछली पालन करने के लिए दूसरी तकनीक तुलना में बहुत ही कम खर्चा होती है खासकर RAS सिस्टम से। इसलिए छोटे बिजनेसमैन या किशान भी इस तरीके को अपना रहे है मछली पालन के लिए। इस सिस्टम से 1 हेक्टेयर एरिया में 20 से 30 टन मछली उत्पादन होती है जो कि बहुत ही ज्यादा प्रोडक्शन माना जाता है.

    Biofloc fish farming System की ट्रेनिंग क्यों जरुरी है ?

    Biofloc  fish farming System  में सबसे जरूरी चीज है पानी का परीक्षण या टेस्ट। पानी का टीडीएस लेबल पता करना बहुत जरूरी है मछली पालन के लिए। सबसे पहले पानी की pH value कितनी है पता करके फिर पानी का एसिडिटी, आर्सेनिक, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, अमोनिया, कैल्शियम, क्लोरीन, आयरन, हाइड्रोजन, लीड, मरकरी, नाइट्रेट, नाइट्राइट की मात्रा या लेबल्स पता करना बहुत ही जरुरी है। आपके एरिया की पानी में कौन से प्रजाति की मछली पलने के लिए सही है पानी की जांच करने के बाद ही पता चलेगा। कौन से पानी में कौन सी मछली की प्रजाति कंफर्टेबल रहेगा फिश फार्मिंग के लिए ये जानना बहुत जरूरी है। अगर आपको केमिकल्स के लेवल मालूम हो जाए तो आप उसको बैलेंस भी कर सकते हैं अपने मछली की प्रजाति की हिसाब से।

    मछली पालन में सबसे जरूरी चीज है मछलियों के बीमारी से लड़ना। मछली बहुत जल्दी बीमार पर जााते हैं। मछली के उत्पादन में सबसे बड़ी चैलेंज है मछली के इंफेक्शन, viral fever, fungus infection जैसे बीमारी। अधिकतर मछली जब लाया जाता है मतलब ट्रांसपोर्टेशन में ही बीमार पड़़ जाते हैं। मतलब एक दूसरे को जख्मी कर देती है। जैसे ही आप मछली को टंकी में डालते हैं अधिकतर मछली मर जाती है इसीलिए ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। ट्रेनिंग में आपको सिखाया जाता है कौन सी दवा किस बीमारी के लिए देनी है मछली पालन के लिए जिससे मछली बीमार मुक्त रहें और कितनी खाना डालना है मछली को ठीक तरीके से बढ़ने के लिए। इन सब बातो के लिए ट्रेनिंग बहुत जरुरी है Fish farming  के लिए. 

    Biofloc fish farming सक्सेसफुल और लाभदायक तकनीक है मछली पालन के लिए लेकिन ट्रेनिंग जरूरी है।

    Biofloc System से आप हर तरह के मछली उत्पादन कर सकते हैं जैसे कि Koi, Talapia, Magur, Shingi, Shrimp, Ruhu, katla, pangasius, sole fish और भी बहुत सारे।

    लेकिन Biofloc fish farming system में अगर आप नए हैं तो आपको Airbreather fish मतलब हवा में सांस लेने वाली मछली की प्रजाति से शुरू करनी चाहिए। अगर आप पुराने हो जाएंगे तो कोई भी प्रजाति के मछली पाल सकते हैं। जैसे कि मांगूर, देसी मांगुर मछली, सिंगी, सोल, वियतनामी कई, पैनगैसियस, पब्दा।

    Underwater breathing fish यानी कि पानी के अंदर सांस लेने वाली मछली की प्रजाति जैसे कि रोहू, कतला, मृगल, तिलापिया रूपचंदा। Biofloc fish farming तकनीक से पुराने हो जाएंगे या आपको एक्सपीरियंस हो जाएगा तब आप हर तरह की मछली पाल सकते हैं इस सिस्टम से लेकिन कुछ मछलियों की ग्रोथ कम होती है उसी हिसाब से आपको मछली का चयन करना चाहिए। 

    आपके नजदीक के मार्केट में कौन सा मछली का डिमांड है उसी हिसाब से आपको मछली पालन करने चाहिए और मछली के प्रजाति के हिसाब से मछली का दाम भी होता है मतलब आप कौन सी प्रजाति की मछली पालेंगे उस हिसाब से आप का मुनाफा होगा।

    आप अगर Biofloc System से कमाई करना चाहते हो तो पहले इसकी ट्रेनिंग ले लीजिए नहीं तो आपको बहुत सारे मुश्किलों का सामना हो सकता है जैसे की मछली की बीमारी यह बहुत ही नुक्शानदायक प्रॉब्लम होती है मछली पालन में। 

    Biofloc fish farming System की ट्रेनिंग कैसे होती है?

    Biofloc fish farming System की ट्रेनिंग में आपको सिखाया जाएगा कि आप मछली की बीमारी की प्रॉब्लम से कैसे लड़ सकते हैं। Biofloc System की एक बड़ी प्रॉब्लम है temparature जिसमें फिश फार्मिंग में बहुत ही ज्यादा असर करती है इसलिए ट्रेनिंग लेना जरूरी है। ट्रेनिंग में आपको टेंपरेचर कंट्रोल करने के तरीके सिखाए जाएंगे या टेंपरेचर कंट्रोल में से कैसे काम करते हैं सिखाए जाएंगे। ट्रेनिंग के दौरान आपको floc कैसे तैयार करें यह भी सिखाए जाता है.  Tank में आप एलोवेराairpipe, inlet, outlet कैसे करें सब सिखाए जाएंगे।

    Biofloc training centre in India

    ARB training centre in Haryana.

    Adhir Biofloc fish farming in UP

    Poikra Farmhouse, ABC adibasi society, Durg, chastisgarh

    RSM Biofloc fish farming

    KGRM fish farm in Bihar

    Pearl and Fish Farm Training in Jaipur, Rajasthan.

    Gorakhpur, Uttarpradesh


    CIBA, Chennai

    JP Singh, Datia, MP

    IFM Society, Kerala

    KGRM Fish Farming, Begusaray, Bihar

    Mahamaya Bioflic Fish Farm, Kanker Chhattisgarh

    Biofloc System
    Biofloc fish farming training दिलाने के नाम से कोई कोई कंपनी ठगी भी करते हैं इसीलिए अच्छी तरह जानकारी लेकर तभी ट्रेनिंग के लिए पैसा दे। कोई कोई कंपनी फ्री ट्रेनिंग भी देते हैं आप उनसे भी ट्रेनिंग ले सकते हैं।


    Biofloc fish farming System की  Setup कैसे करें?

    Biofloc fish farming System की  Setup के लिए iron Frame और टेंट या ट्रिपल से टंकी तैयार किया जाता है. आप Tarpoline की टैंक भी तैयार कर सकते हैं। सीमेंट की टंकी भी ठीक रहती है मछली पालन के लिए। इस सिस्टम में टैंक  में Airpipe डाले जाते हैं। इस सिस्टम में Airblower या पाइप मछली की मल या waste products को नीचे में जमने नहीं देते हैं.  Biofloc System की सेटअप में inlet और outlet पूरी सिस्टम होनी चाहिए। इस सिस्टम में पानी को बार-बार चेंज करने की जरूरत नहीं होती है। आप 20 से 30 दिन में 10 या 20 परसेंट पानी निकाल सकते हैं। आप 3 महीने के बाद ही पानी चेंज कर सकते हैं। इस सिस्टम में मछली की मल या fecal materials को भी floc में कन्वर्ट किया जाता है ताकि मछली उसे भी खा सके और पानी साफ रहे.  इस सिस्टम में बीच-बीच में आपको पानी को चेक करना पड़ेगा कि उसमें biofloc की मात्रा कितने हैं और calculate करके फिर से डालना पड़ता है. Biofloc सिस्टम में shadings करना जरूरी है नहींं तो जाड़े केेे मौसम में मछली मर सकते हैं इसीलिए टंकी के ऊपर में छत बहुत जरूरी है।

    Equipment for Biofloc Setup

    Biofloc fish farming setup के लिए आपको नीचे दिए गए सामानों की जरूरत पड़ेगी। आप ऑनलाइन भी सेटअप का सामान मंगा सकते हैं।

    • Tarpolin/Cement Tank/Plastic tank.
    • Iron frame.
    • Wire.
    • Water pipe.
    • Inlet drainage.
    • Outlet drainage.
    • Temperature controller.
    • Thermometer.
    • Air Blower.
    • Air Pump (DC Pump).
    • Air Stone with point.
    • Water Pipe.
    • Water Tank.
    • Connector.
    • T-shape Connector.
    • Adjustable pH meter with pH test paper.
    • Manual Salinity Meter/Gravity meter.
    • TDS Meter.
    • Ammonia test kit.
    • D.O. meter.
    • Solar Panel with DC/AC meter.

    Biofloc कैसे तैयार करें?

    Biofloc तैयार करने के लिए चूना या lime, प्रोबायोटिक (probiotics ), रॉक साल्ट (rock Salt), लिक्विड गुड से एक मिश्रण तैयार करके पानी में मिलाया जाता है। अगर आपकी 10000 लीटर की कैपेसिटीवाली टंकी है तो 5000 लीटर पानी टंकी में भरकर फिर उस मिश्रण को मिलाकर 7 से 10 दिन तक छोड़ दे। इसमें Airway की छोटी-छोटी पाइप डाले जाते हैं जो नीचे की पानी को ऊपर की तरफ blow करती है। 7 से 10 दिन के पानी में floc की मात्रा को चेक करके फिर floc छोड़ा जाता है और पानी डाली जाती है. इस प्रोसेस में Airway pipe की अहम भूमिका होती है जिसके जरिए मछली की मल को फिर से floc बनाया जाता है फिर मछली उसको खा लेती है.

    इस सिस्टम में आपको कोई भी फिल्टर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन Airblower चलाने के लिए आपको इलेक्ट्रिसिटी चाहिए इसलिए 24 घंटे पावर बैकअप जरुरी है.b

    Biofloc fish farming setup करने के लिए आप जितने टैंक लगाएंगे और टैंक की साइज क्या है उस हिसाब से खर्चा होगा। आप अपनी पूंजी के हिसाब से शुरू कर सकते हैं फिर भी मेरे ख्याल से दो से तीन लाख लगेंगे। आप कितनी टंकी लगाएंगे इस हिसाब से खर्च आएगा। एक टंकी में लगभग 25,0000 से ₹30,000 लगता है आर चारा खिलाने का अलग। इस सिस्टम से आप साल में तीन से चार बार fish farming कर सकते हैं.  20000 लीटर के कैपेसिटी के टैंक में आप 3:1 के अनुपात से मछली की चारा या fish Seed डाल सकते हैं. टंकी के कैपेसिटी की हिसाब से टंकी में fish seed डालें। इस सिस्टम से आप 1 साल में दो से तीन बार मछली उत्पादन कर सकते हैं मतलब 4 से 6 महीने में आपके मछली रेडी हो जाएंगे मार्केट में बेचने के लिए।

    Fish farming को बढ़ावा देने के लिए गवर्नमेंट ICAR-CIBA की तरफ से ट्रेनिंग दी जाती है और workshops  भी चलाए जाते हैं। तो अगर आपको भी इंटरेस्ट है तो आप भी ट्रेनिंग लेकर biofloc system से fish farming कर सकते हैं और इस बिजनेस से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आजकल गवर्नमेंट की तरफ से फिश फार्मिंग के लिए 60% सब्सिडी भी दी जा रही है और हमारी सरकार मछली पालन को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि सभी बेरोजगार अपनी रोजी रोटी चला सके खासकर युवा वर्ग के बेरोजगार पुरुष और महिलाओं के लिए। महिलाओं को कुछ ज्यादा ही सब्सिडी मिलती है पुरुष की तुलना में ताकि वह अपनी पहचान बना सके और अपनी परिवार का सहारा बन सके और गुजर बसर अच्छे से कर सके चाहे तो मछली पालन हो या कोई भी उद्योग।

    गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

    Aloe Vera farming या खेती कैसे करें?

     Aloe Vera farming या खेती कैसे करें?

    Uses of aloevera या एलोवेरा की विशेषताएं


    एलोवेरा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा या प्लांट है जिसकी मेडिसिनल वैल्यू बहुत ही ज्यादा है। एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जिससे बहुत सारे दवाइयां बनाई जाती है और immunity को बढ़ाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। एलोवेरा को घृतकुमारी भी कहा जाता है भारत में।

    Aloe Vera
    Aloe Vera

    एलोवेरा में मेडिसिनल एलिमेंट इतने ज्यादा होते हैं कि बहुत सारे मेडिसिन में इसका प्रयोग होता है जैसे कि हर्बल मेडिसिन, ब्रिटिश मेडिसिन, आयुर्वेद, फार्मेसी और चाइनीस हर्बल मेडिसिन ने भी इसका प्रयोग होता है।

    एलोवेरा में विटामिन A, C, E की मात्रा बहुत ज्यादा होती है इसीलिए हमारे त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद और हमारे शरीर को hydrate रखने में मदद करते हैं।

    एलोवेरा हमारी त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं और त्वचा को जवान रखने में मदद करते हैं मतलब झुरिया देर से आती है। एलोवेरा हमारे पेट की समस्या या गैस्ट्रिक के प्रॉब्लम को भी ठीक करती है। अगर हम एलोवेरा जूस खाली पेट में पिए तो हमारे सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक है जैसे कि मोटापा कम होती है, हमारे त्वचा को हाइड्रेट रखती है और गैस की प्रॉब्लम को भी ठीक कर देती है। एलोवेरा जूस पीने से कब्ज से भी छुटकारा मिलता है।

    एलोवेरा हमारे बालों के लिए भी बहुत ही उपयोगी है यह हमारे बालों को झड़ने से रोकती है और हाइड्रेट रखती है जैसे हमारे त्वचा को हाइड्रेट रखती हैं इसीलिए एलोवेरा का जूस हर कोई पसंद करते हैं खासकर इस महामारी के समय में। एलोवेरा का जूस एक इम्यूनिटी बूस्टर जूस है सबके लिए कोई भी पी सकता है खाली पेट में अपने शरीर को हाइड्रेट रख सकते है इस महामारी के समय में।

    आजकल हम सब चीजें हर्बल पसंद करने लगे हैं इसीलिए एलोवेरा का उपयोग हर तरह के हर्बल प्रोडक्ट में की जाती है जैसे कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स, साबुन, शैंपू, hand wash, face wash, face cream, hand sanitizer, body lotion, sunscreen lotion जैसे सामान में। फार्मेसी में भी एलोवेरा का उपयोग बड़ी मात्रा में होते हैं इसलिए बड़ी बड़ी कंपनी में आजकल एलोवेरा की डिमांड बहुत ज्यादा है इस वजह से एलोवेरा फार्मिंग या कल्टीवेशन बहुत बड़ी उद्योग या व्यापार बन चुकी है।

    पूरी दुनिया में एलोवेरा की डिमांड है खासकर भारत में बहुत ज्यादा है क्योंकि भारत अपने हर्बल प्रोडक्ट को पूरी दुनिया में निर्यात करती है और पूरी दुनिया में भारत की हर्बल प्रोडक्ट की डिमांड है। इसलिए छोटे बड़े सब बिजनेसमैन या फार्मर एलोवेरा फार्मिंग में इंटरेस्ट दिखा रहे हैं और कर रहे हैं क्योंकि इसमें कोई ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं लगती है और मुनाफा बहुत ज्यादा है। आजकल एलोवेरा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ट्रेंडिंग बिजनेस है। भारत में बहुत से राज्य में एलोवेरा की फॉर्म में होती है जैसे गुजरात, बिहार, उड़ीसा, कर्नाटका, महाराष्ट्र, झारखंड, वेस्ट बेंगल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, यूपी, को एमपी बहुत सारे राज्य में होती है और भारत की जलवायु एलोवेरा फार्मिंग के लिए उत्तम है।

    भारत के बहुत सारे आयुर्वेदिक कंपनियां एलोवेरा के  प्रोडक्ट बनाते हैं और कई कंपनियां एलोवेरा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी कराते हैं जैसे कि,

    आजकल सब केमिकल प्रोडक्ट को छोड़कर हर्बल प्रोडक्ट को अपना रहे हैं इसलिए एलोवेरा की भी डिमांड बहुत ज्यादा है खासकर beauty products, body lotion, hand wash, soap, , face cream, hand sanitizer, sunscreen lotion जैसे प्रोडक्ट्स में इसलिए अगर आपके पास खाली जमीन है तो आप भी एलोवेरा के फॉर्मिंग कर सकते हैं। कोई भी किसान आसानी से अपनी खाली जमीन में एलोवेरा की फार्मिंग कर सकते हैं और कंपनी को बेच सकते हैं, नहीं तो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी कर सकते हैं आसानी से।आजकल बहुत ही ट्रेंनिंग बिजनेस है एलोवेरा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग।


    Aloe Vera Products



    एलोवेरा फार्मिंग या एलोवेरा की खेती कैसे करें इंडिया में?

    एलोवेरा की खेती के लिए के लिए इंडिया की वेदर या जलवायु एकदम ठीक है। एलोवेरा की खेती के लिए कोई खास किस्म की मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती हर मिट्टी में एलोवेरा की पौधे उग जाती है लेकिन बालू मिट्टी सबसे अच्छा है एलोवेरा की खेती के लिए। एलोवेरा की खेती के लिए कोई खास देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती। एलोवेरा की खेती के लिए सूरज की रोशनी बहुत जरूरी है। एलोवेरा की खेती के लिए पानी की भी जरूरत ज्यादा नहीं पड़ती है। इंडिया में तकरीबन हर राज्य में एलोवेरा की खेती की जा रही है। आजकल बहुत सारे हर्बल कंपनी किसानों के साथ buy-back कॉन्ट्रैक्ट या एग्रीमेंट कर रहे हैं एलोवेरा की खेती के लिए।

    Buy-back contract या agreement क्या है एलोवेरा की खेती में?

    पतंजलि आयुर्वेदा और हर्बल लाइफ जैसे बड़ी कंपनियां किसानों से एक कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर एलोवेरा फार्मिंग कराते हैं जिसमें कंपनियां एलोवेरा की छोटी पौधे किसानों को देते हैं पैसे लेकर लगाने के लिए और जब एलोवेरा पौधे बड़े हो जाते हैं उपयोग में आने के लिए तो कंपनी फिर से किसानों से हो खरीद लेते हैं पत्ते या पौधा। मतलब एलोवेरा के पौधे जब बेचने के लिए तैयार हो जाएंगे तो वह कंपनियां उनसे एलोवेरा के पौधे खरीद लेते हैं मतलब बड़ी-बड़ी कंपनियां किसान से एग्रीमेंट करके एलोवेरा की खेती कराते हैं वह एलोवेरा की चारा भी देते हैं किसान को एलोवेरा की खेती के लिए। इस कॉन्ट्रैक्ट से एलोवेरा की खेती करने के लिए कुछ खास नियम बनाए जाते हैं किसानों के लिए तब ही किसान buy-back कॉन्ट्रैक्ट कर पाते हैं कंपनियों से एलोवेरा की खेती के लिए। 

    Buy-back contract में किसानों के लिए बहुत ही आसान होता है अपने फसल को बेचना। अपने फसल को बिक्री करने के लिए कहीं भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। किसान बड़ी आसानी से मुनाफा कमा सकते हैं एलोवेरा की खेती करके इसीलिए बहुत से किसान अब एलोवेरा की खेती कर रहे हैं buy-back contract या agreement के माध्यम से। कोई कोई कंपनी ये भी छूट देती है कि किसान चाहे तो अपनी फसल दूसरी कंपनी को भी बेच सकते हैं अगर उनको लगेगा दूसरी कंपनियां उनको ज्यादा रेट दे रहे हैं। कांटेक्ट में यह सारे नियम या rules लिखे जाते हैं।

    बहुत सारे नियम होते हैं buy-back कॉन्ट्रैक्ट खेती में जैसे कि पौधे कितने में खरीदना है कंपनी से और कंपनी को कितनी रेट में बेचने है और कितने दिन के अंतराल में और कितने अमाउंट में बेचने है?इसीलिए जब भी buy-back कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग करें, अच्छे से पढ़ ले कंपनी की तरफ से दी जाने वाली एग्रीमेंट पेपर मैं दी गई रूल रेगुलेशन को नहीं तो आपको धोखा भी हो सकता है इसीलिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने से पहले अच्छे से पढ़ ले यह बहुत जरूरी चीज है बहुत सारा नियम है कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए।

    एलोवेरा की चारा या छोटी-छोटी पौधा 1-2 रुपया में मिलती है और बड़े पौधा ₹3 या उससे अधिक में बिकती है।

    कुछ खास चीजें एलोवेरा की खेती के लिए

    • एलोवेरा की खेती के लिए गर्मी की मौसम सही रहती हैं। मई या जून महीना में एलोवेरा की खेती की शुरू करनी चाहिए मतलब एलोवेरा की पौधे लगाने चाहिए।
    • ठंडे की मौसम में एलोवेरा की खेती या प्लांटेशन नहीं करनी चाहिए हमेशा गर्मी में शुरू करनी चाहिए।
    • एलोवेरा की पौधा 10 इंच की साइज में लगाना चाहिए उनसे जो छोटे-छोटे रहेंगे वह मर भी सकते हैं इसलिए 10 इंच साइज के पौधे प्लांटेशन के लिए सही रहता है।
    • दो-दो फीट की दूरी पर एक एलोवेरा की पौधे लगाने चाहिए क्योंकि एलोवेरा की पौधों को बढ़ाने के लिए जगह की जरूरत पड़ती है और एक से बहुत सारे हो जाते हैं बाद में इसलिए दो-दो फीट की दूरी जरूरी है हर पौधे में।
    • पानी देने के लिए ड्रेनेज सिस्टम अपनाएं या बनाइए तब सही तरीके से हर पौधों को पानी मिलेगी और पौधा आसानी से बढ़ेगी।
    • एलोवेरा खेती के लिए बालू मिट्टी सही रहती हैं और गोबर का सार आप डाल सकते हैं अच्छी पैदावार के लिए मतलब पौधा को बढ़ाने के लिए। जैविक सार अच्छी होती है एलोवेरा एलोवेरा के पौधों के लिए। 
    • एलोवेरा फार्मिंग के लिए पर्याप्त मात्रा में सूरज की रोशनी होनी चाहिए। ज्यादा ठंडा मौसम एलोवेरा के पौधों के लिए ठीक नहीं होती है।


    मार्केटिंग और मुनाफा एलोवेरा की खेती में

    एलोवेरा की खेती की मार्केटिंग कैसे करें और मुनाफा कैसे कमाए जाते हैं जानते हैं।

    एलोवेरा की पौधों के साइज के हिसाब से उसकी कीमत होती है। एलोवेरा की पौधे 3 से 5 रुपए प्रति किलो तक बिकते हैं। एलोवेरा के पत्तों का दाम ज्यादा होता है। एलोवेरा के पत्ते 5 से ₹6 प्रति किलो की दर से बिकते है।

    एक एकर जमीन पर 10,000 एलोवेरा की पौधे लगा सकते हैं 2 फीट की दूरी में। 8 से 9 महीने में आपकी एलोवेरा तैयार हो जाते हैं बेचने के लिए और हर 6 महीने में आप पत्ते तोड़ कर बेच सकते हैं।

    1 एकड़ जमीन में एलोवेरा की पौधे लगाने में ₹30000 तक की खर्चा आ सकती है और 10 महीने के बाद आप एलोवेरा को बेच सकते हैं वह तैयार हो जाते हैं उपयोग में आने के लिए। 

    1 एकड़ एक एकर जमीन में आप 200000 - 300000 तक कमा सकते हैं एलोवेरा की खेती करके हर साल।

    अगर आप एलोवेरा की पत्ते नहीं बेचना चाहते हैं तो आप उनसे जेल बनाकर बेच सकते हैं तो आपको ज्यादा मुनाफा होगा लेकिन उसके लिए आपको जेल बनाने की मशीन ट्रेनिंग करनी चाहिए। आप एक बार एलोवेरा की प्लांटेशन करते हैं तो आप 5 साल तक उनसे कमा सकते हैं पत्ते बेचकर या पौधे बेचकर या जेल बनाकर हर हालत में आपको मुनाफा होगा। इसीलिए एलोवेरा की खेती आजकल बहुत सारे किसान कर रहे हैं अपनी खाली परी जमीन पर जोकि बंजर बन चुके हैं और मुनाफा कमा रहे हैं।


    एलोवेरा की खेती बहुत ही खास है किसानों के लिए जिन्हें बहुत ज्यादा घाटा हो रहा है अनाज की खेती करके या जिनके पास उपजाऊ जमीन नहीं है उनके लिए क्योंकि एलोवेरा की खेती के लिए खास किस्म की मिट्टी या उपजाऊ होना जरूरी नहीं है कोई भी मिट्टी में आप एलोवेरा उगा सकते हैं और खासी कमाई कर सकते हैं खासकर उन किसानों के लिए हैं जो कर्ज के दलदल में फंस गए हैं और आत्महत्या कर रहे हैं उनके लिए एक खास खेती है एलोवेरा की खेती। ज्यादा जानकारी के लिए आप YouTube video की मदद ले सकतेे हैं कैसे एलोवेरा की फार्मिंग या खेती करें। एलोवेरा की खेती करने से पहले आप ट्रेनिंग भी लेेे सकते हैं इससे आप आसानी से सब चीज कर पाएंगे और आपकी खेती भी अच्छी होगी।

    Kadaknath Chicken Poultry Farming कैसे शुरू कर सकते हैं?

    Kadaknath Chicken Poultry Farming कैसे शुरू कर सकते हैं? Kakadnath Chicken कड़कनाथ चिकन क्या है? कड़कनाथ  चिकन की रंग पूरी तरह से काला होता ...